बालासन योग की मुद्रा एक भ्रूण की स्थिति से मिलती जुलती है जो की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संबल प्रदान करती है। इसलिए इसे शिशुआसन (Child Pose) भी कहते है|
बालासन योग एक बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है जो की शरीर को शांत ओर और तनाव रहित करता है| जिससे शरीर फिर से ताजगी महसूस करता है| यह मांसपेशियों को शांत करता है, जिससे विशेष रूप से पीठ, गर्दन और कंधों के दर्द को कम करने में मदद मिलती है|
यह मुद्रा वास्तव में सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देती है,ओर आपको अपने बचपन के दिनों में वापस ले जाती है और आपको बीमार भावनाओं और अहंकार से दूर कर देती है|
बालासन योग के लाभ
बालासन योग से छाती, पीठ और कंधों में से तनाव ओर अकड़न पूरी तरह से दूर हो जाती है|
बालासन से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है
कमर ओर पेट की एक्स्ट्रा चर्बी को कम करता है|
पाचन तंत्र को मजबूत करता है| कब्ज़ की समस्या को पूरी तरह दूर करता है|
यह एड़ियों, कूल्हों और जांघों की flexibility increase(लचीला) करने में मदद करता है।
बालासन से पूरे शरीर की आंतरिक ओर बाहरी अंगों की अच्छे से मालिश हो जाती है ओर शरीर के अंग सक्रीय,कोमल ओर लचीले हो जाते है|
यह आसन तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
योग शरीर के निचले हिस्से और गर्दन में दर्द से राहत देता है।
बालासन पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है।
यह सांस लेने (Breating Pattern) के सही तरीके को प्रोत्साहित करता है
यह आसन महिलाओ के लिए भी बहुत फायदेमंद है, इससे मासिक धर्म में होने वाले दर्द से निजात मिलती है|
यदि आपको कार्य करते वक्त अत्यधिक थकान और आलस महसूस होता है तो इस आसन को करना आपके लिए बेहद ही फायदेमंद है|
बालासन करने की विधि
सबसे पहले आप एक स्वच्छ आसन बिछाकर वज्रासन की मुद्रा मे बैठ जाए
अब लंबी ग़हरी सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर आसमान की तरफ उठाना है ध्यान रहे दोनों हाथों की हथेलियों को एक दुसरे से नहीं मिलाना है|
जितना संभव हो उतना दोनों हाथों और कमर को पीछे की ओर ले जाना है|
अब सांस छोड़ते हुए फिर से दोनों हाथों को आगे की ओर जमीन की तरफ़ नीचे लाना है| ओर अपने सिर(माथा) को जमीन पर स्पर्श कराना है|
इस पोजीशन मे 30 सेकंड से 2 मिनट तक रहने की कोशिश करनी चाहिए|
इस स्थिति मे आपके कुल्हे पैरों से सटे रहने चाहिए| ओर कमर और हाथों को सामर्थ्य अनुसार आगे की ओर तानने (stretch) की कोशिश करनी है|
फिर से सांस लेते हुए दुबारा रिपीट करना है|
शुरुआत मे 3 से 5 बार करने की कोशिश करनी है |
बालासन करते समय सावधानियां
बालासन हमेशा खाली पेट करना चाहिए|
जिन लोगो को दस्त की समस्या या फिर घुटनों में दर्द आदि हो उन्हें इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए|
उच्च रक्तचाप, हृदय रोगी और हर्निया के मरीजों को बालासन योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए|
यदि बालासन करते वक्त माथे को फर्श पर रखने में असुविधा महसूस हो रही है तो आप अपने सर के नीचे तकिया रख सकते है|